रविवार, 16 सितंबर 2012

0 सनातन धर्म में सनातन क्या है ?

|| ओ३म् ||

सनातन धर्म में सनातन क्या है ?
हम आज बहुत गर्व से राम-कथा में अथवा भागवत-कथा में, कथा के अंत में कहते  हैं ,
बोलिए --- सत्य सनातन धर्म कि जय ।

तनिक विचारें
? सनातन का क्या अर्थ है ?
सनातन अर्थात जो सदा से है, जो सदा रहेगा,  जिसका अंत नहीं है और जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन है।  और सत्य में केवल हमारा धर्म ही सनातन है,  यीशु से पहले ईसाई मत नहीं था, मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था।  केवल सनातन धर्मं ही सदा से है, सृष्टि के आरंभ से ।

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

2 आर्य समाज का राष्ट्र को योगदान

                                                                  || ओ३म् ||

संसार में आर्य समाज एकमात्र ऐसा संगठन है जिसके द्वारा धर्म, समाज, और राष्ट्र तीनों के लिए अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं, इनमे से कुछ इस प्रकार है –

वेदों से परिचय – वेदों के संबंध में यह कहा जाता था कि वेद तो लुत्प हो गए, पाताल में चले गए। किन्तु महर्षि दयानन्द के प्रयास से पुनः वेदों का परिचय समाज को हुआ और आर्य समाज ने उसे देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी पहुँचाने का कार्य किया। आज अनेक देशों में वेदो ऋचाएँ गूंज रही हैं, हजारों विद्वान आर्य समाज के माध्यम से विदेश गए और वे प्रचार कार्य कर रहे हैं। आर्य समाज कि यह समाज को अपने आप में एक बहुत बड़ी दें है।

सबको पढ़ने का अधिकार -  वेद के संबंध में एक और प्रतिबंध था। वेद स्त्री और शूद्र को पढ़ने, सुनने का अधिकार नहीं था। किन्तु आज आर्य समाज के प्रयास से हजारों महिलाओं ने वेद पढ़कर ज्ञान प्रपट किया और वे वेद कि विद्वान हैं। इसी प्रकार आज बिना किसी जाति भेद के कोई भी वेद पढ़ और सुन सकता है। यह आर्य समाज का ही देंन है।

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

0 मैंने इंसानियत को मरते देखा है।

|| ओ३म् ||
आज मुझे एक गहरी जानकारी एवं अनुभव से रूबरू होना पड़ा और यह ज्ञात हुआ कि इंसान जन्म नहीं लेता है बल्कि इंसान तो बनना पड़ता हैं
बात आज शाम की है यानि कि ४ नवम्बर २०११ की। शाम के करीब ७ बज रहें होंगे, मैं जरा एटीएम जा रहा था, अचानक देखता हूँ की कुछ मुस्लिम लड़के एक गाय को घेर कर खड़े थे जो कि एक पेड़ मे बंधी हुई थी। मुझे समझते देर न लगी कि ये लोग क्या कर रहे हैं, क्यूंकि दो दिन बाद बकरीद है और हफ्ते भर पहले से ही गायों को गाड़ियों में भर भर कर मंजिल (बूचड़-खाना) तक पहुचाना शुरू हो गया था।
मैं सहसा ही रुक गया और उन लोगो के पास जाकर पूछा कि आप लोग ये क्या कर रहे हो ?
इस पर पहले तो वो लोग मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगे, फिर उनमे से से एक बोला कि पीछे हट जाओ ये गाय मारती है।
मैंने कहा वो तो ठीक है पर ये गाय है किसकी और क्यूँ इसे बांधे रक्खा है ? फिर उनमे से ही एक बोला कि गाय हमारी है और हम इसे चितपुर बाज़ार मस्जिद में ले जा रहे हैं, परसो नीलामी है और यह गाय कुर्बानी के लिए जा रही है।