||ओ३म्||
कुछ दिन पहले नेट पर एक मुस्लिम व्यक्तिका का पोस्ट पढ़ रहा था,
जिसमे लिखा था:
"एक बंगाल के हिन्दू से पूछो "तुम किसको मानते हो? कहेगा "दुर्गा माता" को।, एक महाराष्ट्र के हिंदू से पूछो तुम किसको मानते हो? कहेगा "गणपति" को। एक गढवाल के हिन्दू से पूछो कि तुम किसको मानते हो? कहेगा "शिव जी" को।, किसी केरल के हिन्दू से पूछो "तुम किसको मानते हो? " कहेगा "अयप्पा स्वामी" को। और दुनिया के किसी कोने में चले जाओ और किसी मुसलमान से पूछो तुम किसको मानते हो? पूरी दुनिया में एक ही जवाब मिलेगा: "ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर रसूल अल्लाह" यानि नहीं है दूसरा कोई और अल्लाह के सिवा और मुहम्मद उसके रसूल हैं"।
जिसमे लिखा था:
"एक बंगाल के हिन्दू से पूछो "तुम किसको मानते हो? कहेगा "दुर्गा माता" को।, एक महाराष्ट्र के हिंदू से पूछो तुम किसको मानते हो? कहेगा "गणपति" को। एक गढवाल के हिन्दू से पूछो कि तुम किसको मानते हो? कहेगा "शिव जी" को।, किसी केरल के हिन्दू से पूछो "तुम किसको मानते हो? " कहेगा "अयप्पा स्वामी" को। और दुनिया के किसी कोने में चले जाओ और किसी मुसलमान से पूछो तुम किसको मानते हो? पूरी दुनिया में एक ही जवाब मिलेगा: "ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद उर रसूल अल्लाह" यानि नहीं है दूसरा कोई और अल्लाह के सिवा और मुहम्मद उसके रसूल हैं"।
मैंने सोचा इसने यदि थोडा और कष्ट उठाकर किसी बंगाल के हिन्दू से पूछा होता कि "गणपति" कौन हैं? तो जवाब मिलता प्रेम को प्रकट करता ईश्वर का एक नाम हैं! किसी महाराष्ट्र के हिन्दू से पूछा होता कि "दुर्गा" कौन हैं? तो जवाब मिलता ईश्वर का एक नाम जो मातृ शक्ति को प्रकट करता है । किसी केरल के हिन्दू से पूछ लिया होता कि शिव कौन हैं? तो जवाब मिलता सृष्टि के पालनहार एवं कल्याणकारी रूप में परमात्मा का एक नाम।
इस बात को सोचते सोचते मुझे स्वामी विवेकानंद कि कही एक बात याद आ गयी
इस बात को सोचते सोचते मुझे स्वामी विवेकानंद कि कही एक बात याद आ गयी