|| ओ३म् ||
वेद –
केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं ।
वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं ।
वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने
अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा – इन चार ऋषियों को एक साथ दिया था ।
वेद मानवमात्र के लिए हैं ।
वेद चार हैं ----
१. ऋग्वेद – इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म – पर्यन्त सब पदार्थो का ज्ञान दिया हुआ है ।
इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं ।
मण्डल – १०
सूक्त -१०२८
ऋचाऐं – १०५८९ हैं ।
शाखा – २१
पद – २५३८२६
अक्षर - ४३२०००
ब्रह्मण - ऐतरेय
उपवेद – आयुर्वेद
२. यजुर्वेद – इसमें कर्मकाण्ड है । इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है ।
इसमें १,९७५ मन्त्र हैं ।
अध्याय – ४०
कण्डिकाएं और मन्त्र -- १,९७५
ब्रह्मण – शतपथ
उपवेद - धनुर्वेद
केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं ।
वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं ।
वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने
अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा – इन चार ऋषियों को एक साथ दिया था ।
वेद मानवमात्र के लिए हैं ।
वेद चार हैं ----
१. ऋग्वेद – इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म – पर्यन्त सब पदार्थो का ज्ञान दिया हुआ है ।
इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं ।
मण्डल – १०
सूक्त -१०२८
ऋचाऐं – १०५८९ हैं ।
शाखा – २१
पद – २५३८२६
अक्षर - ४३२०००
ब्रह्मण - ऐतरेय
उपवेद – आयुर्वेद
२. यजुर्वेद – इसमें कर्मकाण्ड है । इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है ।
इसमें १,९७५ मन्त्र हैं ।
अध्याय – ४०
कण्डिकाएं और मन्त्र -- १,९७५
ब्रह्मण – शतपथ
उपवेद - धनुर्वेद