शनिवार, 19 मार्च 2016

0 मनुस्मृति और वामपंथी आजादी

||ओ३म्||

 
गुलाम देश में आज़ादी के मायने कुछ और थे,
पर आज आज़ादी के नाम पर केवल दंगे भड़काने का कार्य हो रहा है।
किसी ग्रन्थ(मनुस्मृति) में आपका विश्वास न हो तो क्या आप हिंसा पे उतर आएंगे और उसे जलाने का दुसाहस करेंगे।
तो याद रखना हिन्दू कौम सहनसील है कायर नहीं,

धैर्य का ऐसा इम्तिहान न लो की सैलाब आ जाये और तुम्हारे जैसे वामपंथी नेस्तनाबूद हो जाये।
गर माँ का दूध पिए हो तो किसी इस्लाम के ग्रन्थ को हाथ लगा कर देखो, सारी आज़ादी हवा में उड़ जायेगी।

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